विष्णु जी ने कहा है कि जो व्यक्ति अनजाने मैं भी राधा कहता है उसके आगे मैं सुदर्शन चक्र लेकर चलता हूं। उसके पीछे स्वयं शिव जी उनका त्रिशूल लेकर चलते हैं। उसके दाईं ओर इंद्र वज्र लेकर चलते हैं और बाईं तरफ वरुण देव छत्र लेकर चलते हैं।
↧