Quantcast
Channel: मंत्र विज्ञान
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2442

कब है गायत्री जयंती, क्या होता है गायत्री जापम कर्म?

$
0
0

Gayatri jayanti: श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को गायत्री जयंती मनाते हैं। विचारों में भिन्नता के कारण गायत्री जयन्ती ज्येष्ठ चन्द्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भी मनायी जाती है। अन्य मतांतर के अनुसार गायत्री जयन्ती अधिकांशतः गंगा दशहरा के अगले दिन मनाते हैं। आधुनिक भारत में, श्रावण पूर्णिमा की गायत्री जयन्ती का दिन संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। उदयातिथि के अनुसार इस बार यह जयंती 31 अगस्त 2023 बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।

 

वेद माता गायत्री जयन्ती 2023 : समस्त वेदों की देवी होने के कारण देवी गायत्री को वेद माता के रूप में भी जाना जाता है। देवी गायत्री को हिन्दु त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। उन्हें समस्त देवताओं की माता एवं देवी सरस्वती, देवी पार्वती एवं देवी लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है।

 

देवी गायत्री को ब्राह्मण के समस्त अभूतपूर्व गुणों का प्रतिरूप माना जाता है। देवी गायत्री के भक्त इस अवसर पर उन्हें प्रसन्न करने हेतु विशेष प्रार्थना करते हैं तथा गायत्री मन्त्र का निरन्तर जाप करते हैं।

 

गायत्री जपम कर्म : इसे उत्तर भारत में श्रावणी उपाकर्म कहा जाता है। दक्षिण भारत में अबित्तम कहते हैं। इस दिन वैदिक मन्त्र का जाप करते हुए उपनयन सूत्र यानी जनेऊ यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। दक्षिण भारत में इसे जन्ध्यम के नाम से भी जाना जाता है। उपाकर्म अनुष्ठान के पश्चात् ही वेदाध्ययन आरम्भ किया जाता है।

 

उपाकर्म अनुष्ठान के अगले दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण करने वाला व्यक्ति गायत्री मन्त्र का जाप करता है। जब संख्या 108 से 1008 की हो सकती है, जिसे गायत्री जापम के रूप में जाना जाता है। दक्षिण भारतीय ब्राह्मणों के मध्य गायत्री जापम को गायत्री प्रतिपदा अथवा गायत्री पाद्यमी के रूप में भी जाना जाता है।

 

कैसे और कब करें मां गायत्री का पूजन?

  1. प्रात: काल नित्यकर्म से निवृत्त होकर माता गायत्री की मूर्ति या तस्वीर को पाट पीले वस्त्र बिछाकर विजराम करें। गंगाजल छिड़कर स्थान को पवित्र करें और सभी देवी और देवताओं का अभिषेक करें।
  2. इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप बत्ती लगाएं।
  3. अब माता की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें। पंचोपचार यानी पांच तरह की पूजन सामग्री से पूजा करने और षोडशोपचार यानी 16 तरह की सामग्री से पूजा करने। इसमें गंध, पुष्प, हल्दी, कुंकू, माला, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं।
  4. इसके बाद गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. पूजा जप के बाद माता की आरती उतारते हैं।
  6. आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 2442

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>