Quantcast
Channel: मंत्र विज्ञान
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2442

बसंत पंचमी पर कामदेव की षोडशोपचार पूजा का संकल्प मंत्र, पति पत्नी में रहेगा सौहार्द

$
0
0

Kamadeva Puja: बसंत पंचमी को भारत का वेलेंटाइन डे यानी प्रेम दिवस भी माना जाता है। इस दिन माता सरस्वती के अलावा कामदेव और रति की पूजा भी होती है। इसी दिन श्रीकृष्ण और प्रद्युम्न पूजा का प्रचलन भी है। मान्यता के अनुसार इस दिन कामदेव और देवी रति की षोडशोपचार पूजा करने से पति पत्नी के संबंधों में सुधार होकर प्रेम बढ़ता है।

ALSO READ: बसंत पंचमी पर करते हैं ये 5 कार्य, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

षोडशोपचार पूजा संकल्प

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,

अमुकनामसंवत्सरे माघशुक्लपञ्चम्याम् अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाहं सकलपाप - क्षयपूर्वक - श्रुति -

स्मृत्युक्ताखिल - पुण्यफलोपलब्धये सौभाग्य - सुस्वास्थ्यलाभाय अविहित- काम- रति - प्रवृत्तिरोधाय मम

पत्यौ/पत्न्यां आजीवन - नवनवानुरागाय रति- कामदम्पती षोडशोपचारैः पूजयिष्ये।

 

रति और कामदेव का ध्यान:

ॐ वारणे मदनं बाण - पाशांकुशशरासनान्।

धारयन्तं जपारक्तं ध्यायेद्रक्त - विभूषणम्।।

सव्येन पतिमाश्लिष्य वामेनोत्पल - धारिणीम्।

पाणिना रमणांकस्थां रतिं सम्यग् विचिन्तयेत्।।

 

षोडशोपचार पूजन:- 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।

षोडशोपचार पूजा विधि :-

  • प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो कामदेव और रति का स्मरण करते हुए पूजा का संपल्प लें।
  • इसके बाद दोनों के चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। 
  • मूर्ति हो तो स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
  • अब पूजन में धूप, दीप जलाएं और फिर पूाज प्रारंभ करें। 
  • मस्तक पर हल्दी, कुंकू और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाकर माला पहनाएं।
  • पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
  • इसके बाद संपूर्ण 16 प्रकार की सामग्री अर्पित करें जिसमें उनके 16 श्रृंगार का सामान भी हो।
  • पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करें।
  • ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
  • प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
  • नैवेद्य अर्पित करने के बाद अंत में दोनों की आरती करें।
  • आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।

ALSO READ: बसंत पंचमी : इस शुभ मुहूर्त में करें मां सरस्वती की पूजा, मिलेगा आशीर्वाद

ALSO READ: इस बसंत पंचमी पर इन खास भोग से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती, अभी नोट करें 5 रेसिपी



Viewing all articles
Browse latest Browse all 2442

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>