चतुर्थी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता कूष्माण्डा है। जरा, मृत्यु, रोग, कमजोरी दूर कर शरीर तथा आत्मा के दोष दूर कर दिव्यता देने का विलक्षण कार्य माता कूष्मांडा का है। इनके जप मंत्र कई हैं। सरलतम मंत्र यह है-
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