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Diwali 2024: कैसे करें दीपावली पर एकाक्षी नारियल सिद्धि साधना, जानें सरल उपाय

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Deepawali Special Upay : हमारे शास्त्रों में कई ऐसे दुर्लभ प्रयोग हैं जिनके करने से व्यक्ति को अवश्यंभावी लाभ प्राप्त होता है। दीपावली के शुभ मुहूर्त में एकाक्षी नारियल के इस प्रयोग से साधक की दरिद्रता नष्ट होकर उसे धन की प्राप्ति होती है। इस प्रयोग हेतु 'एकाक्षी नारियल' का होना आवश्यक है।

 

सामान्यत: 'एकाक्षी नारियल' सहज-सुलभ नहीं होता है। यदि साधक एकाक्षी नारियल प्राप्त करने में सफल हों तो दीपावली के दिन इस 'एकाक्षी नारियल' प्रयोग को करके अपने जीवन में आर्थिक संकटों से मुक्त हो सकते हैं।


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'एकाक्षी नारियल' प्रयोग कैसे सिद्ध करें :

 

सर्वप्रथम एक थाली में अष्टदल कमल बनाकर एकाक्षी नारियल को स्थापित कर उसकी पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन करें फिर निम्न मंत्र बोलते हुए कमल के 108 पुष्पों से एकाक्षी नारियल का अर्चन करें-

 

'एकाक्षी नारियल' पूजन का मंत्र : 'ॐ ऐं ह्रीं ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षिनारिकेलाय नम:॥'

 

अर्चन के उपरांत एकाक्षी नारियल को लाल रेशमी वस्त्र में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें। यह तीव्र धनदायक प्रयोग है।

 

-ज्योतिर्विद पं. हेमंत रिछारिया

प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र 

संपर्क : astropoint_hbd@yahoo.com
 

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Dev uthani ekadashi: देवउठनी एकादशी पर इस शुभ मंत्र से जागते हैं श्रीहरि विष्णु जी, जानें तुलसी विवाह के मंत्र

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Dev Uthani Ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी/ के दिन यादि कार्तिक शुक्ल ग्यारस तिथि पर भगवान श्री विष्णु 4 महीने के पश्चात शयन निद्रा से जाग्रत होते हैं और इसी दिन तुलसी पूजन के साथ ही शालिग्राम-तुलसी विवाह करने की पुरानी परंपरा भी है। इस बार 12 नवंबर, दिन मंगलवार को देवउठनी ग्यारस का पावन पर्व मनाया जा रहा है।

इस दिन तुलसी पूजन में धूप, सिंदूर, चंदन, पुष्प, घी का दीया और नैवद्य अर्पित किया जाता हैं। पुराणों में कई मंत्र और श्लोक मिलते हैं, जिसे भगवान श्रीहरि के जागने या उन्हें उठाने के समय इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यदि आपके घर में मां तुलसी विराजमान हैं तो देवउठनी/ देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन उनके सामने ये आठ नाम- पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी आदि अवश्‍य ही बोलें।


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Highlights 

  • देवी तुलसी के मंत्र जानें।
  • देवउठनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप। 
  • इन मंत्रों से करें श्री विष्‍णु की आराधना।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार स्वयं श्रीहरि नारायण अपने मस्तक पर तुलसी को धारण करते हैं। और तुलसी मोक्षकारक मानी गई है, इसी कारण भगवान की आराधना, उपासना-पूजा एवं प्रसाद या भोग में तुलसी के पत्तों का होना अनिवार्य कहा गया है। इस दिन माता तुलसी और भगवान श्री विष्णु को जगाने हेतु कुछ खास मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। 

 

आइए यहां जानते हैं नारायण देव को जगाने का खास मंत्र एवं माता तुलसी के मंत्र- 

 

देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि विष्णु जी को जगाने का शुभ मंत्र : 

 

दिव्य देव प्रबोधन मंत्र : 

 

ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय,

बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव।

यानि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य, सोम आदि से वंदनीय, हे जगन्निवास, देवताओं के स्वामी आप मंत्र के प्रभाव से सुखपूर्वक उठें।

 

देवोत्थान स्तुति मंत्र : 

 

'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌।।'

'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:।।'

'शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।'

अर्थात् इसका तात्पर्य यह है कि जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु आप उठिए और मंगल कार्य की शुरुआत कीजिए। 

 

इस मंत्र से पुष्पांजलि अर्पित करें : 

 

'यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन।

तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्या: सन्तिदेवाः।।'

 

इस मंत्र से प्रार्थना करें : 

 

'इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।

त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थ शेषशायिना।।'

इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।

न्यूनं सम्पूर्णतां यातु त्वत्प्रसादाज्जनार्दन।।'

 

तुलसी पूजन मंत्र : 

 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। 

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। 

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। 

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

 

तुलसी नामाष्टक मंत्र : 

 

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतनामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

 

तुलसी स्तुति मंत्र : 

 

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः 

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

 

तुलसी जी को जल देने का मंत्र : 

 

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।। 

 

तुलसी पत्ते तोड़ने के मंत्र : 

 

- ॐ सुभद्राय नमः

- ॐ सुप्रभाय नमः

मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी 

नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।

 

- ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।। 

 

इस तरह देवता को जगाने तथा तुलसी पूजन और विवाह से समस्त रोग, शोक, बीमारी, व्याधि आदि से छुटकारा मिलता है तथा घर में पवित्रता और समृद्धि आती है। साथ ही सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। 

 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

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हर विघ्न हर लेंगे भगवान श्री गणेश, जानें कैसे करें चमत्कारी सिद्ध गणेश यंत्र साधना

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Ganesha puja mantra: वैसे तो श्री गणेश की आराधना प्रतिदिन की जाती हैं, लेकिन उनके कुछ खास दिवस जैसे बुधवार और चतुर्थी तिथि पर श्री गणपति को प्रसन्न करके उनकी विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश के मंत्र और यंत्र दोनों ही अत्यंत चमत्कारी माने गए हैं। विशेषकर जहां गणेश यंत्र मानव के समस्त कार्यों को सिद्ध करता है। वहीं इस यंत्र साधना द्वारा गणेश भगवान की कृपा भी शीघ्र प्राप्त होती है और मनुष्य पूर्ण लाभान्वित होता है।ALSO READ: मकर संक्रांति 2025: पतंग उड़ाने से पहले जान लें ये 18 सावधानियां

 

Highlights

  • गणपति आराधना से चमकेगी किस्मत।
  • गणेश आराधना के लिए मंत्र पूजन विधि।
  • भगवान गणेश को भोग लगाएं।

यदि आप भी निम्न वर्णित विधि अनुसार श्री गणेश यंत्र को किसी भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी ति‍थि को शुभ मुहूर्त में शास्त्रोक्त विधान से ताम्रपत्र पर निर्माण करा लें। ध्यान रखें कि यंत्र को खुदवाना नि‍षेध है। तथा यंत्र साथ कुम्हार के चाक की मृण्मय गणेश प्रतिमा, जो उसी दिन बनाई गई हो, स्थापित करें। 

 

यदि आप भी जीवन में परेशानियों से घिरे हैं तो आइए इस गणेश यंत्र के द्वारा अपने समस्त कष्टों और परेशानियों दूर करें।  

 

इस यं‍त्र साधना को 4 भागों में बांटा गया है-

 

1. दारिद्रय का नाश, व्यापार में उन्नति, आर्थिक लाभ 

2. संतान प्राप्ति 

3. विद्या, ज्ञान, बुद्धि की प्राप्ति

4. कल्याण, मनोकामना पूर्ति

 

और उपरोक्त सभी चारों कार्यों की सिद्धि के लिए एक ही मंत्र है-

 

'ॐ गं गणपतये नम:'

 

किन्तु इसकी जप संख्या और विधि भिन्न है।

 

1. प्रथम कार्य की सिद्धि के लिए सायंकाल,

 

2. दूसरे कार्य के लिए मध्याह्न काल,

 

3. तीसरे और 4. चौथे कार्य के लिए प्रात: के समय कंबल के आसन पर पीले रंग के वस्त्र धारण करके पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके यं‍त्र के सम्मुख बैठें। और रुद्राक्ष की माला से प्रतिदिन 31 माला का जाप यंत्र एवं प्रतिमा का पंचोपचार पीत यानि पीले द्रव्यों से पूजन 31 दिन तक करें। तत्पश्चात दयांश हवन, तर्पण, मार्जन करके 5 बटुक ब्राह्मण भोजन कराएं। यह कार्य अनुष्ठान पद्धति से होना चाहिए। मंत्र जाप करते समय 5 घी के दीपक एवं 5 बेसन के लड्डुओं का नैवेद्य अर्पण करना अनिवार्य है। 

 

आपको बता दें कि एक यंत्र और एक प्रतिमा एक ही कार्य के निमित्त एक ही प्रयुक्त होते हैं। बाद में उन्हें किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर देना चाहिए। यह सिद्ध यंत्र तत्काल फल प्रदान करने वाला तथा अत्यंत चमत्कारी है। अत: इस श्री गणेश यंत्र आराधना से आप अपनी जीवन की सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। 

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चतुर्थी पर पढ़ें संतान गणपति स्तोत्र, बच्चों को मिलेगा लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीष

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santan ganesh stotram: हर माह आने वाली चतुर्थी या चौथ तिथि पर महिलाएं श्री गणेश चतुर्थी का व्रत रखती है। धार्मिक मान्यतानुसार यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता हैं और इसी उद्देश्य से माताएं यह चतुर्थी व्रत करती हैं। हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश की आराधना हमेशा फलदायी मानी गई है। इसीलिए प्रथम पूज्य देव श्री गणेश को प्रिय यह संतान गणपति स्तोत्र लक्ष्मी और संतान दोनों देता है। आइए पढ़ें श्री गणेश का चमत्कारी स्तोत्र...ALSO READ: चतुर्थी या चौथ से जुड़ी कुछ पौराणिक कथा कहानियां
 

पवित्र संतान गणपति स्तोत्र

 

नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

 

गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

 

विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

 

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

 

शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

 

ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:। 

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
 

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हनुमान जयंती पर कौन सा पाठ करें जिससे कि हनुमानजी तुरंत हो जाएं प्रसन्न

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Hanuman Jayanti 2025: इस बार श्री हनुमान जयंती 12 अप्रैल, दिन शनिवार को मनाई जा रही है। हनुमान जयंती पर हनुमान जी को तुरंत प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी पाठ हनुमान चालीसा का है। हनुमान चालीसा नित्य पढ़ने से जहां जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, वहीं नौकरी में अच्छी तरक्की तथा सफलता के पूर्ण रास्ते खुलते हैं। मन में चल रहे भय से मुक्ति मिलती है। अत: यदि आप भी हनुमान जी को तुरंत प्रसन्न करना चाहते हैं यहां जान लें इस लेख के माध्यम से कि आपको क्या करना चाहिये...ALSO READ: हनुमान जी का तिलक क्यों माथे की जगह गले पर लगाती हैं महिलाएं, जानिए कारण

 

हनुमान चालीसा का महत्व: भगवान हनुमान की स्तुति में 40 छंदों की एक भक्तिमय कविता हनुमान चालीसा है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है। यह सबसे सरल और लोकप्रिय पाठों में से एक है जो हनुमान जी को तुरंत प्रसन्न करने की शक्ति रखता है। मान्यता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार के भय, संकट और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है और भक्तों को आत्मविश्वास से भर देता है।ALSO READ: साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हनुमान जी का जन्मोत्सव, जानिए रहस्य

हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करें:

- हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

- हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।

- ध्यान केंद्रित करें और श्रद्धा भाव से हनुमान चालीसा का पाठ करें।

- आप अपनी इच्छानुसार 1 बार, 3 बार, 7 बार या अधिक बार पाठ कर सकते हैं।

- पाठ करते समय उच्चारण शुद्ध रखने का प्रयास करें।

- पाठ के बाद हनुमान जी की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं। 

- हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, इमरती, गुड़-चना और फल विशेष रूप से प्रिय हैं। अत: इनका प्रसाद अर्पित करें।

- कुछ भक्त इस दिन सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं, जिसका भी विशेष महत्व है।ALSO READ: क्यों हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दी थी रामायण, जानिए क्या था इस घटना के पीछे का रहस्य

 

अन्य प्रभावशाली पाठ: हनुमान चालीसा के अतिरिक्त, आप निम्नलिखित पाठ भी कर सकते हैं:

 

- बजरंग बाण: यह पाठ शत्रुओं पर विजय और संकटों से मुक्ति के लिए बहुत प्रभावशाली माना जाता है।

 

- राम रक्षा स्तोत्र: हालांकि यह भगवान राम की स्तुति है, हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त हैं, इसलिए इस स्तोत्र का पाठ करने से भी वे प्रसन्न होते हैं।

 

- हनुमान अष्टक: यह हनुमान जी की स्तुति में आठ छंदों का पाठ है।

 

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विश्व नवकार महामंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें खास बातें

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Namokar Mahamantra Day: विश्व नवकार महामंत्र दिवस इस केंद्रीय जैन प्रार्थना के गहन आध्यात्मिक महत्व का जश्न मनाने, इसके सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देने और व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण और शांति के लिए इसके जाप को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। वर्तमान खबरों के अनुसार, वर्ष 2025 में, 9 अप्रैल को वैश्विक नवकार महामंत्र दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, जिसमें कई देशों के लोग कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। यह इस शुभ मंत्र के बढ़ते महत्व और वैश्विक मान्यता को और उजागर करता है।ALSO READ: महावीर जयंती पर जानिए उनकी अद्भुत शिक्षाएं

आइए जानते हैं इस खास मंत्र की महिमा के बारे में...

 

नवकार महामंत्र/णमोकार महामंत्र:

 

णमो अरिहंताणं,

णमो सिद्धाणं,

णमो आयरियाणं,

णमो उवज्झायाणं,

णमो लोए सव्व साहूणं। 


एसो पंच णमोक्कारो, सव्व पाव-प्पणासणो।

मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं॥
 

यह नमस्कार महामंत्र सर्वोत्कृष्ट मंत्र है, मंत्राधिराज है। नमस्कार महामंत्र सर्वदा सिद्ध मंत्र है। इसमें समस्त रिद्धियां और सिद्धियां विद्यमान हैं। शांति, शक्ति, संपत्ति तथा बुद्धि के रूप में विश्व में पूजित शक्तियों का आधार नमस्कार महामंत्र ही है। नमस्कार महामंत्र को मंत्र शास्त्र ने 'सव्व पाव पणासणो'- समस्त पाप (क्लेश) का नाश करने वाला बताया है।

 

विश्व नवकार महामंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है:

 

* एक मौलिक मंत्र का सम्मान: णमोकार महामंत्र या नवकार महामंत्र जैन धर्म का सबसे मौलिक और श्रद्धेय मंत्र है। इसे जैनियों द्वारा पढ़े जाने वाली पहली प्रार्थना माना जाता है और यह संपूर्ण जैन दर्शन के सार को समाहित करता है। इसके लिए एक दिन निर्धारित करना इसके सर्वोच्च महत्व पर जोर देता है।

 

* आध्यात्मिक महत्व: यह मंत्र किसी विशिष्ट देवता की स्तुति नहीं करता है, बल्कि "पंच परमेष्ठी"- पांच सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरुओं के गुणों का वंदन करता है: 

 

1. अरिहंत: जिन्होंने अपने आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली है।

 

2. सिद्ध: पूर्ण रूप से मुक्त आत्माएं जिन्होंने मोक्ष प्राप्त कर लिया है।

 

3. आचार्य: साधु संघ के नेता।

 

4. उपाध्याय: साधुओं के शिक्षक।

 

5. साधु: सभी अन्य त्यागी या साधु और साध्वियां।

 

* सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देना: नवकार महामंत्र जैन धर्म के मूल मूल्यों जैसे अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह को बढ़ावा देता है। एक समर्पित दिन इन मूल्यों पर चिंतन और उन्हें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

* आध्यात्मिक उन्नति की खोज: नवकार महामंत्र का जाप आत्मा को शुद्ध करने, नकारात्मक कर्मों को नष्ट करने और व्यक्तियों को आध्यात्मिक प्रगति और मुक्ति यानी मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करने वाला माना जाता है। एक विशेष दिन अधिक लोगों को अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए इस मंत्र से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

 

* एकता और शांति को बढ़ावा: नवकार महामंत्र एक सार्वभौमिक प्रार्थना है जो जैन धर्म के भीतर सांप्रदायिक सीमाओं से परे है और आध्यात्मिक गुणों और नैतिक जीवन जीने पर जोर देने के कारण सभी धर्मों के लोगों द्वारा सराही जा सकती है। जाप का एक वैश्विक दिन शांति, सद्भाव और एकता को बढ़ावा देता है।

 

नवकार महामंत्र की खास बातें:

 

* कोई विशिष्ट देवता नहीं: कई अन्य धार्मिक प्रार्थनाओं के विपरीत, नवकार महामंत्र किसी विशेष भगवान या तीर्थंकर से प्रार्थना या एहसान नहीं मांगता है। इसके बजाय, यह आध्यात्मिक रूप से उन्नत प्राणियों के गुणों का सम्मान और स्मरण करने पर केंद्रित है।

 

* शुभता: नवकार महामंत्र को जैन धर्म के सभी मंत्रों में सबसे शुभ (मांगलिक) माना जाता है।

 

* शुद्धता और मुक्ति: मंत्र का मूल संदेश आध्यात्मिक शुद्धि के माध्यम से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति/मोक्ष के मार्ग को प्राप्त करना है।

 

* सार्वभौमिकता: यह सभी के लिए एक प्रार्थना मंत्र है, जो प्रत्येक आत्मा की आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त करने की क्षमता पर जोर देती है।

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